बिहार चुनाव 2025: जनता की राय क्या कहती है?
बिहार में इस बार का विधानसभा चुनाव 2025 बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। जब पत्रकारों ने जनता से सवाल किए तो अलग-अलग राय सामने आई। कोई नीतीश सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखा तो कोई बदलाव की मांग करता नजर आया। बीजेपी-जेडीयू गठबंधन बनाम आरजेडी की राजनीति एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई है।
आइए विस्तार से जानते हैं नीतीश कुमार और बीजेपी सरकार की उपलब्धियां, साथ ही तेजस्वी यादव और लालू यादव के शासनकाल की समीक्षा भी करते हैं।
नीतीश सरकार और भाजपा गठबंधन की उपलब्धियां और योजनाएं
नीतीश कुमार ने अपने लंबे कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाईं और बिहार की स्थिति में सुधार लाने का दावा किया।
1. विकास और बुनियादी ढांचा
- सड़क और बिजली: बिहार में सड़कों की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है। गांवों तक सड़कें पहुंची हैं और बिजली की आपूर्ति भी काफी हद तक सुधरी है।
- गंगा पुल परियोजना: बिहार में कई पुलों का निर्माण हुआ है, जिससे आवागमन में सहूलियत हुई है।
2. शिक्षा और महिला सशक्तिकरण
- मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना: इस योजना के तहत लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है।
- साइकिल योजना: स्कूल जाने वाली छात्राओं को साइकिल दी गई जिससे ड्रॉपआउट रेट में गिरावट आई।
3. रोजगार और युवाओं के लिए योजनाएं
- स्टार्टअप पॉलिसी: बिहार में युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप पॉलिसी चलाई गई, जिससे नए उद्यमी उभर सके।
- रोजगार मेला: सरकार ने रोजगार मेलों का आयोजन किया, लेकिन विपक्ष का दावा है कि रोजगार के अवसर अभी भी सीमित हैं।
4. शराबबंदी: सफल या विफल?
नीतीश कुमार ने शराबबंदी लागू की, जिसे महिलाओं ने सराहा, लेकिन इसके कारण अवैध शराब का धंधा बढ़ गया और अपराध भी बढ़े। विपक्ष इसे एक असफल नीति मानता है।
तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव सरकार का रिपोर्ट कार्ड
आरजेडी का शासनकाल हमेशा विवादों और बड़े बदलावों से भरा रहा है। लालू यादव और तेजस्वी यादव के शासन में कई बड़े फैसले हुए, लेकिन कई घोटाले भी सामने आए।
1. लालू राज का दौर (1990-2005)
- लालू यादव के कार्यकाल को ‘जंगलराज’ कहा जाता है। इस दौरान अपहरण, लूट और अपराध चरम पर था।
- रेलवे मंत्री रहते हुए लालू यादव ने रेलवे का मुनाफा बढ़ाया, लेकिन चारा घोटाले जैसी घटनाओं ने उनकी छवि खराब कर दी।
2. तेजस्वी यादव का कार्यकाल (2020-2021, गठबंधन सरकार)
- 10 लाख नौकरियों का वादा: 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी ने 10 लाख नौकरियों का वादा किया था, लेकिन इसे पूरी तरह अमल में नहीं लाया जा सका।
- कोरोना काल में राहत कार्य: जब तेजस्वी उपमुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने मजदूरों और गरीबों के लिए राहत कार्य किए। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि वे सिर्फ बयानबाजी करते रहे।
3. भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोप
- लालू यादव पर चारा घोटाले में सजा हुई, जिससे उनकी पार्टी की छवि धूमिल हुई।
- तेजस्वी यादव पर बेनामी संपत्ति के आरोप लगे, जिससे उनकी ईमानदारी पर सवाल उठे।
जनता की राय: किसे मिलेगा जनादेश?
पत्रकारों द्वारा जब जनता से सवाल किए गए तो कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं:
- विकास समर्थक: कुछ लोगों का कहना था कि नीतीश कुमार के राज में बिहार की हालत सुधरी है और उन्हें ही सत्ता में बने रहना चाहिए।
- परिवर्तन समर्थक: कई युवा बदलाव चाहते हैं और तेजस्वी यादव को एक नए नेता के रूप में देख रहे हैं।
- बीजेपी समर्थक: भाजपा के समर्थकों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के सहयोग से बिहार में और तेजी से विकास हो सकता है।
- आरजेडी समर्थक: लालू यादव के समर्थकों का कहना है कि आरजेडी गरीबों की पार्टी है और उसे फिर से मौका मिलना चाहिए।
निष्कर्ष: बिहार में किसकी होगी सरकार?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा। नीतीश कुमार और भाजपा सरकार अपनी योजनाओं और विकास कार्यों के दम पर चुनाव लड़ रही है, जबकि तेजस्वी यादव बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि बिहार की जनता किसे मौका देती है – विकास के दावे वाले नीतीश कुमार को, युवा नेता तेजस्वी यादव को, या कोई तीसरा विकल्प उभरकर आता है?
👉 आपकी क्या राय है? क्या बिहार में बदलाव की जरूरत है, या नीतीश कुमार को फिर से मौका मिलना चाहिए? हमें कमेंट में बताएं!
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