चीनी जहर है
चीनी का उत्पादन पहली बार 1866 में ब्रिटिश उपनिवेशों द्वारा प्रारंभ किया गया था। इससे पूर्व, भारतीय समाज गुड़ का सेवन करता था, जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अपेक्षाकृत कम होती थीं।
चीनी निर्माण की प्रक्रिया में गंधक का उपयोग किया जाता है, जो एक ऐसा रासायनिक तत्व है जो शरीर में प्रवेश करने के बाद आसानी से बाहर नहीं निकलता है।
चीनी के सेवन से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य संबंधी जोखिम:
- चीनी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाती है, जिससे हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है।
- यह शरीर के वजन में वृद्धि का कारण बनती है, जिससे मोटापे की समस्या उत्पन्न होती है।
- चीनी रक्तचाप को बढ़ाने में सहायक होती है।
- यह मस्तिष्क संबंधी आपात स्थितियों का कारण बन सकती है।
- चीनी की मिठास सुक्रोज है, जिसे मानव शरीर प्रभावी रूप से पचा नहीं पाता।
- चीनी उत्पादन में 23 हानिकारक खाद्य सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।
- यह मधुमेह का एक प्रमुख कारण बनती है।
- पेट में जलन की समस्या भी चीनी के सेवन से उत्पन्न हो सकती है।
- चीनी ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को बढ़ाती है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
- लकवा होने का एक संभावित कारण भी है।
चीनी के स्थान पर गुड़ का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
अधिक चीनी का सेवन कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे वजन बढ़ना, मधुमेह का खतरा और हृदय रोग। इसलिए, चीनी का सेवन सीमित करना अत्यंत आवश्यक है।
चीनी के हानिकारक प्रभाव:
- वजन में वृद्धि।
- रक्त शर्करा और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में वृद्धि।
- हृदय रोग का बढ़ता जोखिम।
- उच्च रक्तचाप।
- त्वचा पर झुर्रियों का विकास।
- दांतों में कैविटी और मसूड़ों की बीमारियों का जोखिम।
- मुंहासों की समस्या।
चीनी निर्माण में प्रयुक्त हानिकारक रसायन:
चीनी बनाने की प्रक्रिया में सल्फर डाइऑक्साइड, फॉस्फोरिक एसिड, और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड जैसे रसायनों का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, चौक पाउडर, यूरिया, वाशिंग सोडा, और प्लास्टिक क्रिस्टल भी मिलाए जाते हैं।
चीनी बनाने की प्रक्रिया:
चीनी का उत्पादन गन्ने या चुकंदर से किया जाता है। गन्ने के रस को सल्फर डाइऑक्साइड और फॉस्फोरिक एसिड के साथ रिफाइन किया जाता है। चीनी के क्रिस्टल को कार्बन डाइऑक्साइड गैस और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। इसके बाद, इसे बोन चार, सक्रिय कार्बन या आयन-एक्सचेंज रेजिन के माध्यम से फ़िल्टर किया जाता है, जिससे सभी प्राकृतिक पोषण तत्व समाप्त हो जाते हैं।
भारत में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है। गन्ने के रस को रिफाइन करने के लिए सल्फर डाइऑक्साइड और फॉस्फोरिक एसिड का उपयोग किया जाता है। इसके बाद, इसे जानवरों की हड्डियों से बने कोयले से साफ किया जाता है, जिससे सभी विटामिन और खनिज तत्व निकल जाते हैं। अंततः, केवल ग्लूकोस शेष रह जाता है। चीनी का रासायनिक सूत्र C12H22O11 है।