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डायरेक्ट एक्शन डे (16 अगस्त 1946): कोलकाता की आग — विभाजन की राह खुली

16 अगस्त 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे में कोलकाता में हुए दंगे का पूरा विश्लेषण — घटनाक्रम, गैर-मुस्लिमों पर हमले के तरीके, प्रशासनिक प्रतिक्रियाएँ और विभाजन पर असर। संवेदनशील सामग्री; विवरण गैर-ग्राफिक।

🩸 डायरेक्ट एक्शन डे (16 अगस्त 1946) — कोलकाता में चार दिनों का खौफनाक दंगल

तारीख: 16–19 अगस्त 1946

मुख्य स्थान: कोलकाता (तब कलकत्ता), बंगाल

घोषक: ऑल-इंडिया मुस्लिम लीग (नेतृत्व: मोहम्मद अली जिन्ना)

परिणाम (अनुमान): लगभग 4,000–10,000 की मौतें; हजारों घायल; लाखों बेघर। Wikipedia+1

1) पृष्ठभूमि — क्यों भड़का दंगा

  • 1946 में ब्रिटिश शासन के अंत की तैयारियाँ चल रही थीं; कैबिनेट मिशन प्लान ने समूहों के आधार पर संवैधानिक व्यवस्था का प्रस्ताव रखा था। कांग्रेस-लीग के बीच असहमति बढ़ी और 16 अगस्त को “डायरेक्ट एक्शन” का आह्वान किया गया। 
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2) घटना-क्रम (सार) — क्या हुआ और कैसे फैला हिंसा

  • सुबह से ही शहर में तनाव और छोटे-छोटे झगड़े दर्ज हुए; दोपहर को लीग की बड़ी रैली के बाद हिंसा चरम पर पहुँची। कई इलाकों (Rajabazar, Burrabazar, Metiabruz इत्यादि) में भीड़ ने दुकानों, आवासों और धार्मिक स्थलों पर हमले किए। रातोंरात झड़पें और आगजनी चलीं; सुरक्षा-बलों को बाद में तैनात किया गया। Wikipedia+1

3) गैर-मुस्लिमों पर प्रकारगत अत्याचार (नॉन-ग्राफिक, तथ्यमूलक वर्णन)

नीचे दी गई घटनाएँ लेखों, Eyewitness रिपोर्ट्स और ऐतिहासिक अध्ययनों में वर्णित हैं; पराँतु किसी भी जगह पर मैं यौन हिंसा का ग्राफिक विवरण या नग्नता का वर्णन नहीं दे रहा/रही — केवल यह बताता/बताती हूँ कि महिलाओं पर हमले और उत्पीड़न के भी मामले दर्ज हुए। Cambridge Core+1

  • आकस्मिक और संगठित हमले: सड़कों पर भीड़ द्वारा घरों, दुकानों और कार्यस्थलों पर हमला। कई परिवारों को घरों से निकाल कर तथा उनकी संपत्ति जला दी गई। Wikipedia
  • लूट और आगज़नी: व्यापारिक इलाकों—बाज़ार, मिलें और गोदाम—लक्ष्य बने; सामान और कागजात नष्ट किए गए ताकि लोग बेसहारा हो जाएँ। Sciences Po
  • महिलाओं पर हमले (आंकिक / गैर-ग्राफिक विवरण): अलग-अलग ग्रंथों और गवाहियों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़, धमकाने, अपहरण के प्रयास और व्यभिचार/बलात्कार के आरोपों का समावेश मिलता है। ऐतिहासिक अध्ययनों में यह भी दिखा कि कुछ इलाकों में महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया और कई बार उन्हें सुरक्षित स्थानों से अलग करना पड़ा। (ध्यान दें: यहाँ पर कोई ग्राफिक या नग्न विवरण शामिल नहीं है)। Cambridge Core+1
  • किसी-किसी संस्थागत लक्ष्य-स्थान पर हमले: मजदूर कॉलोनियाँ, मिल-कम्पाउंड, वर्कशॉप और हॉस्टल प्रमाणित लक्ष्य बने — जहाँ गरीब वर्ग और धर्म-विशेष के लोग रहते/काम करते थे। इस तरह के हमलों में परिवारों की आजीविका नष्ट हुई और कई लोग शरणार्थी बन गए। Wikipedia+1

4) प्रशासनिक प्रतिक्रिया — क्या नाकामियाँ रहीं?

  • स्थानीय प्रशासन और पुलिस की तैनाती पर्याप्त और त्वरित नहीं रही; कुछ आरोपों में स्थानीय नेताओं की भूमिका और चूक की बातें उठीं। ब्रिटिश वाइस-रॉय और सेना को बाद में बड़ी संख्या में बुलाना पड़ा। इस देरी ने हिंसा को बढ़ने का मौका दिया। Wikipedia+1

5) प्रभाव और बाद के प्रभाव (अविलम्ब और दीर्घकालिक)

  • कोलकाता की घटनाओं ने आसपास के प्रांतों (नोआखाली, बिहार, पंजाब आदि) में दंगे भड़काने में निर्णायक भूमिका निभाई।
  • इन दंगों ने भारत-विभाजन की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया और लोगों में धर्म के आधार पर अलगाव की मानसिकता गहरी हुई। Wikipedia+1

6) आँकड़े और स्रोत (मूलतः अनुमान)

  • मृतकों का अनुमान 4,000 से 10,000 तक दिया जाता है; घायल और बेघर लोगों की संख्या भी बहुत बड़ी बताई जाती है। आँकड़े स्रोतों के अनुसार बदलते हैं — ब्रिटिश सरकारी रिपोर्ट, स्वतंत्र इतिहासकार और समकालीन अख़बारों के बीच मतभेद पाया जाता है।

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डायरेक्ट एक्शन डे (16 अगस्त 1946): कोलकाता की आग — विभाजन की राह खुली
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