मजदूर दिव्यांग समुदाय के कमजोर और असहाय व्यक्तियों के साथ अत्याचार की घटनाएं चिंताजनक रूप से बढ़ रही हैं। इन व्यक्तियों की संपत्तियों को जबरन लूटने का प्रयास किया जा रहा है, और कई मामलों में उनका अपहरण भी किया जा रहा है। हाल ही में महेश्वर पंचायत में एक दिव्यांग मजदूर का अपहरण किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उसे गंभीर शारीरिक और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा। उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया, और उसकी संपत्ति को जबरन अपने नाम कराने का प्रयास किया गया।
हालांकि, पुलिस की तत्परता के कारण उसे रजिस्ट्री ऑफिस से सुरक्षित मुक्त कराया गया, और अब आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए एक अभियान चलाया जा रहा है। इस संदर्भ में, मेरा प्रश्न यह है कि जब कमजोर और बेसहारा मजदूर दिव्यांग को कानूनी सहायता या अन्य आवश्यकताओं की आवश्यकता होती है, तब समाज के प्रभावशाली और सक्षम लोग कहां होते हैं? जब वास्तविक सहायता की आवश्यकता होती है, तब वे अक्सर अनुपस्थित होते हैं, जबकि वही कमजोर लोग एक-दूसरे का सहारा बनने की कोशिश करते हैं।
यह स्थिति न केवल सामाजिक न्याय के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह हमारे समाज के नैतिक मूल्यों पर भी प्रश्न उठाती है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है। यदि हम एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करना चाहते हैं, तो हमें सक्रिय रूप से उन लोगों की मदद करनी चाहिए, जो सबसे अधिक असुरक्षित हैं।
20 लाख के जमीन के लिए दिव्यांग का किया गया था अपहरण
चार दिन बाद किया गया मुक्त
यह घटना महेश्वर पंचायत से संबंधित है, जहां एक दिव्यांग व्यक्ति का अपहरण कर 20 लाख रुपये की संपत्ति की अवैध रजिस्ट्री की गई थी। दिव्यांग का नाम भिखारी राय है, जो चार बच्चों का पिता है। 10 नवंबर को गांव के कुछ असामाजिक तत्वों के एक संगठित गिरोह ने उनका अपहरण किया। सूत्रों के अनुसार, इस गिरोह में पंचायत के कुछ प्रतिष्ठित व्यक्ति भी शामिल हैं, जो कमजोर और असहाय मजदूरों को लगातार उत्पीड़ित कर उनकी संपत्ति हड़पने का प्रयास करते हैं। जो लोग उनके खिलाफ आवाज उठाते हैं, उनका अपहरण कर झूठे मामलों में फंसाया जाता है।
बाबूबारही प्रशासन की तत्परता के कारण दिव्यांग मजदूर की जान बचाई गई और उसे लूटने से भी सुरक्षित रखा गया।
