रिपोर्ट : डॉ. H.K. सिंह | YHT24x7 News
देश में जातीय भेदभाव को समाप्त करने की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। सोशल मीडिया पर हाल ही में एक पोस्ट तेजी से वायरल हुई है, जिसमें समाज को जातियों के नाम पर बंटने की प्रवृत्ति को खत्म करने की अपील की गई है। पोस्ट का शीर्षक है—
“जातियों के नाम पर भेदभाव का खात्मा; समय की माँग”
और इसे देशभर के हजारों लोगों ने शेयर कर समर्थन जताया है।
पोस्ट में यह दावा किया गया है कि ब्राह्मण, कोयरी, कुर्मी, धानुक, पासवान, केवट, निषाद, यादव सहित कई समुदाय भारत के इतिहास में एकजुट योद्धाओं की तरह रहे हैं। इन सबने विभिन्न कालों में देश, धर्म और समाज की रक्षा के लिए एक होकर संघर्ष किया।
इतिहासकारों के अनुसार भगवान राम के वनवास काल और रावण युद्ध में वनवासी, दलित, भील और अन्य जनजातीय समुदायों ने श्रीराम का साथ दिया। वहीं मुगलकालीन संघर्षों में महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी के साथ अनेक पिछड़ी और वंचित जातियों के लोग शामिल रहे। ये तथ्य बताते हैं कि भारत की शक्ति एकता में रही है, न कि जातिगत विभाजन में।
पोस्ट के वायरल होने के बाद समाज के विभिन्न वर्गों, छात्र संगठनों और युवा समूहों ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि आज की पीढ़ी जातिगत भेदभाव को समाप्त होते देखना चाहती है।
उनका मानना है कि समान अवसर, सम्मान और सामाजिक समरसता ही भविष्य का रास्ता है।
सामाजिक विश्लेषकों का कहना है कि यह पोस्ट केवल सोशल मीडिया संदेश नहीं, बल्कि समाज की गहरी मनोदशा को दर्शाती है।
आज जब देश आगे बढ़ रहा है, ऐसे में जातियों के नाम पर एक-दूसरे से दूर होना विकास में बाधा बन सकता है। इसलिए समय की माँग है—
“भेदभाव खत्म हो, समाज एक हो।”
YHT24x7 News लगातार ऐसे मुद्दों को उठाता रहा है जो समाज को जोड़ते हैं और सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
Our latest content
Check out what's new in our company !