देश के आम नागरिकों पर मोदी सरकार का कर्ज़ का बोझ: जयनगर में आक्रोश की नई लहर
जयनगर (मधुबनी):
बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन और बिहार राज्य किसान सभा ने जयनगर में एक जोरदार रैली का आयोजन किया। शहीद चौक से शुरू होकर प्रखंड कार्यालय तक पहुंचे रैली में गगनभेदी नारों और आक्रोश भरे घोषणाओं ने देश के आम नागरिकों पर बढ़ते कर्ज़ के बोझ की चर्चा को उजागर किया।
रैली का सफर और प्रमुख बयान
रैली की शुरुआत शहीद चौक से हुई, जहाँ उपस्थित भीड़ ने तेज़ नारों के साथ विरोध जताया। बाद में यह रैली प्रखंड कार्यालय पर एक बड़ी सभा में परिवर्तित हो गई। सभा की अध्यक्षता उपेन्द्र यादव ने की, जबकि बिहार राज्य किसान सभा के राज्य संयुक्त सचिव मनोज कुमार यादव ने मंच से जोरदार बयान देते हुए कहा,
"वर्ष 2014-15 में देश पर 64 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसे 2023-24 में बढ़ाकर 176 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।"
उनके अनुसार, इस कर्ज के बोझ ने सरकार को आम जनता की समस्याओं से दूर कर दिया है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि इन नीतियों के चलते गरीब और मध्यम वर्ग का जीवन कठिन हो गया है, जिससे रोजी-रोटी, रोजगार और कृषि क्षेत्रों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
भ्रष्टाचार, घूसखोरी और आर्थिक संकट
सभा में कई वक्ताओं ने सरकारी योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार और घूसखोरी की गहरी शिकायत की। बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला सचिव शशिभूषण प्रसाद ने कहा कि:
"मनरेगा में रोजगार की कमी, जॉब कार्ड और अन्य सरकारी योजनाओं में रिश्वत लेने की घटनाएं आम हो गई हैं।"
उनके अनुसार, प्रधानमंत्री आवास योजना में 25,000 रुपये तक की रिश्वत और राशन कार्ड बनाने में 4000 रुपये तक की उगाही जनता पर एक अतिरिक्त बोझ बन गई है। वक्ताओं का मानना था कि ये नीतियाँ सिर्फ सरकारी आंकड़ों पर झूठे सपने नहीं बुनती बल्कि देश की आर्थिक स्थिति को और भी बिगाड़ रही हैं।
किसानों की बढ़ती पीड़ा
बिहार राज्य किसान सभा के जिला अध्यक्ष रामजी यादव ने किसानों की हालत पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि:
"बिहार में किसानों की स्थिति बेहद खराब है। फसल बीमा योजना के नए नियम और ऋण के बोझ ने उन्हें और भी असहाय बना दिया है।"
उनका कहना था कि किसानों के हित में सरकार द्वारा तत्काल राहत और ऋण माफी की घोषणा की जानी चाहिए ताकि खेती-किसानी में संतुलन स्थापित हो सके।
रिपोर्टर पवन महतो की विशेष रिपोर्ट
रिपोर्टर पवन महतो ने现场 से बताया कि इस रैली में उपस्थित आम नागरिकों के चेहरे पर निराशा के साथ-साथ आक्रोश की झलक साफ दिखी। उन्होंने कहा कि जनता में मौजूदा आर्थिक नीतियों के खिलाफ गहरी नाराजगी है। कई ग्रामीण, मजदूर और किसान अपनी जिंदगी में अब तक के सबसे बड़े संकट का सामना कर रहे हैं।
पवन ने यह भी जोड़ दिया कि यह रैली केवल एक अस्थायी प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि एक ज्वलंत मुद्दे की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास था।
आगे की राह और मांगें
विभिन्न नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सभा में आगे की मांगें भी रखी।
- ऋण माफी: किसानों और गरीबों के ऊपर पड़े ऋण के बोझ को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर।
- सकारात्मक सरकारी नीतियाँ: ऐसी नीतियाँ जो आर्थिक विकास के साथ-साथ आम नागरिकों की जीवनशैली में सुधार ला सकें।
- सख्त जवाबदेही: सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और घूसखोरी पर कड़ी कार्रवाई की मांग।
सभा में उपस्थित अन्य वक्ताओं में अधिवक्ता चन्देश्वर प्रसाद, राजीव कुमार सिंह, विजय पासवान, शिव कुमार यादव, पवन कुमार यादव, मोहम्मद मंजूर, अनिता देवी, सुभाष चौधरी समेत कई नाम शामिल थे जिन्होंने अपने-अपने दृष्टिकोण से सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की।
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"बिहार में किसानों की स्थिति बेहद खराब है। फसल बीमा योजना के नए नियम और ऋण के बोझ ने उन्हें और भी असहाय बना दिया है।"