लखनऊ में पत्रकार सुशील अवस्थी राजन पर जानलेवा हमला — पत्रकारिता पर सीधा हमला
लखनऊ, 22 नवम्बर 2025 — सुदर्शन न्यूज़ चैनल के पत्रकार सुशील अवस्थी राजन (जो कई रिपोर्ट्स में “छायाकार” या “पत्रकार” के रूप में वर्णित हैं) पर एक जानलेवा हमला किया गया है। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है और पत्रकार समाज में इस घटना को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है।

घटना का पूरा किस्सा
- घटना लखनऊ के मानक नगर क्षेत्र में हुई।
- बताया जा रहा है कि रात करीब 10 बजे सुशील अवस्थी अपने घर पर थे, तभी कुछ लोग आए और यह कहकर कि उनसे “कुछ बात करनी है”, उन्हें घर से बाहर बुलाया।
- आरोप है कि ये लोग उन्हें जबरन अपनी गाड़ी में बैठाकर ले गए, और रास्ते में 5 आरोपियों ने उन पर बेरहमी से हमला किया।
- उन्हें इतनी बुरी तरह पीटा गया कि मरणासन्न अवस्था में गाड़ी के पास ही छोडकर आरोपित भाग गए।
- उनकी स्ट्रगल करती हालत लगभग 100 मीटर की दूरी पर देखी गई, जहाँ वे किसी बाइक सवार की कंधे पर हाथ रखे लड़खड़ाते हुए दिखाई दिए।
- उन्हें लोकबंधु अस्पताल, लखनऊ में भर्ती कराया गया है।
आरोप और संभावित कारण
- पत्रकारों का आरोप है कि यह हमला उनके लेखन कार्य से जुड़ा हो सकता है: रिपोर्टों में कहा गया है कि सुशील अवस्थी लगातार “किसी बड़े नेता और उसके बेटे” के खिलाफ लेखन कर रहे थे।
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पत्रकारों ने यह भी दावा किया है कि हमलावरों ने जाते समय धमकी दी थी:
“अगर दोबारा सोशल मीडिया पर हमारे नेता के खिलाफ कोई टिप्पणी की, तो अगली बार जान से मार देंगे।”
- इस आरोप के मद्देनज़र पत्रकार संगठन यह मानते हैं कि यह सिर्फ व्यक्तिगत हमला नहीं, बल्कि सत्ता की ओर से निडर पत्रकारिता को दबाने का प्रयास है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
- मानक नगर थाने में पीड़ित (अस्थायी तहरीर) के आधार पर “अज्ञात आरोपितों” के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
- पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने की रिपोर्ट भी दी है ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके।
- वहीँ, पत्रकारों की प्रतिक्रिया है कि अभी तक “उचित कार्रवाई” नहीं हुई है — उन्हें यह आशंका है कि पुलिस “सत्ता में बैठे किसी ताकतवर व्यक्ति” को बचाने की कोशिश कर रही है।
- प्रदर्शन में वरिष्ठ पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस की कार्रवाई निष्पक्ष न हुई, तो पत्रकार संगठन प्रदेशव्यापी प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे।
पत्रकारों की प्रतिक्रिया और चेतावनी

- पत्रकार समाज में इस घटना पर गहरा आक्रोश है।
- अनिल सैनी (मान्यता प्राप्त पत्रकार संगठन) ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस सत्ता के किसी व्यक्ति को “पकड़ न सके” या “उसे बख्शे”, तो बड़े पैमाने पर विरोध होगा।
- श्यामल त्रिपाठी ने कहा कि वह भय है — “जो पत्रकार निडरता से किसी को बेनकाब करने का प्रयास करता है, उसे निशाने पर लिया जा रहा है।”
- कौसर जहां जैसे पत्रकारों ने आह्वान किया है कि पत्रकारों को एकजुट होना चाहिए, ताकि “अराजक तत्वों” को बेनकाब किया जा सके, जो सत्ता की आड़ में गलत कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं।
निष्कर्ष और आगे की माँगें
- यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि पत्रकारिता की आज़ादी और सत्ता-प्रेस संबंधों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।
- पत्रकार संगठन यह मांग कर रहे हैं कि पुलिस निष्पक्ष और तीव्र जांच करे, ताकि सच सामने आए और दोषियों को सज़ा मिले।
- साथ ही, यह भी ज़रूरी है कि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत तंत्र बनाये जाएँ, ताकि सच्चाई लिखने वालों को डर न हो।
- अगर पुलिस कार्रवाई में ढिलाई दिखाती है, तो पत्रकार संगठन बड़े स्तर पर प्रदर्शन और आवाज़ बुलंद करने के लिए तैयार हैं — यह लड़ाई प्रेस की आज़ादी की है।
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