मधुबनी में अदा की गई अलविदा की नमाज, अमन-चैन और भाईचारे की दुआएं मांगी गईं
मधुबनी में अलविदा जुमे की नमाज अदा, हजारों की संख्या में उमड़े नमाजी
रमजान के आखिरी शुक्रवार को मधुबनी जिले के विभिन्न मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की गई। जिले के कलुआही प्रखंड के मलमल, भलनी, लोहा, जयनगर के भेलवा चौक, बलडिहा, इस्लामपुर, यूनियन टोला, मारवाड़ी मुहल्ला, थाना टोला, राजपुताना, देवधा सहित जिला मुख्यालय के विभिन्न मस्जिदों में हजारों की संख्या में नमाजी पहुंचे। इस मौके पर लोगों ने नमाज अदा कर देश में अमन-चैन, भाईचारे और विश्व शांति की दुआ मांगी।
रमजान का महत्व और अलविदा जुमे की अहमियत
इस्लाम धर्म में रमजान का महीना सबसे पाक माना जाता है। इस पूरे महीने में रोजा रखा जाता है, नियमित रूप से पांचों वक्त की नमाज पढ़ी जाती है, और कुरआन शरीफ की तिलावत की जाती है। रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है—
- पहला अशरा (रहमत का भाग): यह रमजान के पहले दस दिनों को कहा जाता है, जिसमें अल्लाह की रहमत अपने बंदों पर बरसती है।
- दूसरा अशरा (मगफिरत का भाग): अगले दस दिनों में गुनाहों से माफी मांगी जाती है, और अल्लाह अपने बंदों की मगफिरत (क्षमा) करता है।
- तीसरा अशरा (निजात का भाग): आखिरी दस दिन जहन्नुम (नर्क) से निजात पाने के होते हैं, जिसमें लैलतुल कद्र जैसी महत्वपूर्ण रात आती है।
रमजान के आखिरी शुक्रवार को विशेष रूप से अलविदा जुमे की नमाज अदा की जाती है। इस दिन मुस्लिम समुदाय बड़ी संख्या में मस्जिदों में इकट्ठा होकर विशेष नमाज अदा करता है। अलविदा जुमे की नमाज रमजान के खत्म होने की ओर इशारा करती है और इसमें ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की सीख दी जाती है।
मधुबनी में अलविदा जुमे के अवसर पर खास तैयारियां
मधुबनी जिले में अलविदा जुमे को लेकर खास तैयारियां की गई थीं। मस्जिदों की साफ-सफाई पहले से कराई गई थी और विशेष नमाज अदा करने के लिए स्थानीय इमामों ने लोगों को प्रेरित किया था।
- कई मस्जिदों में नमाज के लिए अतिरिक्त व्यवस्था की गई, ताकि अधिक संख्या में आने वाले लोग आराम से नमाज अदा कर सकें।
- इस दौरान पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
- स्थानीय प्रशासन की ओर से यातायात प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया गया, जिससे नमाजियों को कोई परेशानी न हो।
नमाज के बाद अमन-चैन और भाईचारे की दुआएं
नमाज अदा करने के बाद मौलानाओं ने तकरीर पेश की, जिसमें रमजान के महत्व और इसके संदेश को समझाया गया। इसके बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने देश में अमन-चैन, भाईचारे और विश्व शांति के लिए दुआ मांगी।
रमजान के दौरान मधुबनी में समाजसेवा और जकात की परंपरा
रमजान केवल इबादत का महीना ही नहीं, बल्कि समाजसेवा और गरीबों की मदद का भी समय होता है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने गरीबों को जकात (दान) दी।
- कई मस्जिदों और संगठनों द्वारा जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े वितरित किए गए।
- सामूहिक इफ्तार और सहरी का आयोजन किया गया, जिसमें सभी धर्मों के लोग शामिल हुए।
- कई लोगों ने रमजान के इस पाक महीने में अपने जीवन में अच्छे बदलाव लाने और समाजसेवा में योगदान देने का संकल्प लिया।
नमाज के दौरान प्रशासन की सतर्कता और सुरक्षा व्यवस्था
अलविदा जुमे के मौके पर प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क रहा।
- जिला प्रशासन ने नमाज के दौरान शांति बनाए रखने के लिए सभी प्रमुख मस्जिदों के आसपास पुलिसबल की तैनाती की।
- संवेदनशील इलाकों में पुलिस गश्त बढ़ाई गई थी।
- मस्जिदों के आसपास यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस को अलर्ट मोड में रखा गया।
अलविदा जुमे का संदेश – भाईचारा और मानवता की सीख
इस्लाम धर्म में रमजान केवल उपवास और इबादत का महीना नहीं, बल्कि आत्मसंयम, दान, और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस महीने में हर मुसलमान को अपने अंदर इंसानियत और नेक इरादे लाने की सीख दी जाती है।
अलविदा जुमे की नमाज के दौरान भी मौलानाओं ने भाईचारे और आपसी प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि रमजान के दौरान जो नेक कार्य किए गए, उन्हें पूरे साल जारी रखना चाहिए। नमाज के दौरान समाज में एकता और सौहार्द बनाए रखने की भी अपील की गई।
निष्कर्ष
मधुबनी जिले में अलविदा जुमे की नमाज शांतिपूर्ण माहौल में अदा की गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की और देश में अमन-चैन और भाईचारे की दुआ मांगी। प्रशासन द्वारा किए गए सुरक्षा प्रबंधों से कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हुआ। रमजान के इस पाक महीने का समापन श्रद्धा और शांति के साथ हुआ, जिसमें जरूरतमंदों की मदद करने और भाईचारे को बढ़ावा देने का संदेश दिया गया।
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