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बाराबंकी की दिल दहला देने वाली घटना: मजदूरी मांगना बना मौत का कारण
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के टिकैत नगर थाना क्षेत्र के गोबरा गांव में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। 24 वर्षीय युवक योगेंद्र मिश्रा ने मात्र ₹3500 मजदूरी की मांग की, लेकिन इसके बदले उसे अमानवीय बर्बरता का शिकार होना पड़ा। ठेकेदार और उसके गुर्गों ने उसे पीट-पीटकर अधमरा कर दिया, इतना ही नहीं, उसकी बेइज्जती करते हुए मुंह पर पेशाब तक कर दी। इस घटना से आहत योगेंद्र ने पेड़ से फांसी लगाकर जान दे दी।
मामला क्या है?
योगेंद्र मिश्रा गांव के ही ठेकेदार रामकुमार के यहां गेहूं की कटाई और मजदूरी का काम करता था। 12 मार्च 2025 को उसने ₹3500 मजदूरी मांगने के लिए रामकुमार के घर गया।
परिजनों के अनुसार:
- योगेंद्र ने कई दिनों तक मेहनत कर ₹3500 की मजदूरी अर्जित की थी।
- जब वह ठेकेदार रामकुमार के पास पैसा मांगने गया तो उसे मजदूरी देने के बजाय पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया।
- रामकुमार, मनीष, सोनू, कुल्लू, अमरीश और मोहन ने मिलकर उसकी जमकर पिटाई की और उसे घर से उठाकर ले गए।
- जब मारपीट से उनका मन नहीं भरा तो मुंह पर पेशाब तक कर दिया।
आहत योगेंद्र ने उठाया दर्दनाक कदम
अपमान और दर्द से टूटा हुआ योगेंद्र 13 मार्च 2025 को घर के पीछे लगे पेड़ पर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
परिजनों ने बताया:
- "योगेंद्र की आत्महत्या से पहले एक वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग में उसने ठेकेदार और उसके साथियों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया।"
- "उसने अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि उसने सिर्फ अपने हक की मांग की थी, लेकिन बदले में उसे जलील करके मौत के मुंह में धकेल दिया गया।"
योगेंद्र की आखिरी पुकार: वीडियो और ऑडियो में बयां हुआ दर्द
योगेंद्र ने आत्महत्या से पहले एक वीडियो और ऑडियो में अपने साथ हुए अत्याचार को बयान किया। उसने कहा:
✅ "मैंने सिर्फ अपनी मजदूरी मांगी थी, लेकिन इन लोगों ने मेरी इज्जत और जान दोनों छीन ली।"
✅ "मुझे इतना पीटा गया कि मेरी सांसें टूट रही थीं। जब इससे भी मन नहीं भरा तो इन्होंने मेरे मुंह पर पेशाब कर दी।"
✅ "अब मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा है, ये लोग मेरी मौत के जिम्मेदार हैं।"
गांव में तनाव, परिजनों में आक्रोश
घटना के बाद टिकैत नगर कोतवाल रत्नेश पांडे ने बताया कि छह आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।
लेकिन गांव में तनाव बना हुआ है। योगेंद्र के परिवार और ग्रामीणों ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और फांसी की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है:
- "यह घटना पूरे समाज के लिए शर्म की बात है। एक मजदूर की इतनी बर्बरता से हत्या, आखिर कब तक गरीबों की आवाज दबाई जाएगी?"
- "अब न्याय नहीं मिला तो हम चुप नहीं बैठेंगे, सरकार और प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी होगी।"
सवालों के घेरे में श्रम संसाधन विभाग और सरकार
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि योगेंद्र की मजदूरी की रक्षा करने वाला कौन था?
✅ क्या श्रम संसाधन विभाग की जिम्मेदारी नहीं थी कि योगेंद्र की मजदूरी समय पर मिले?
✅ क्या मजदूरों के अधिकारों के लिए बने कानून सिर्फ कागजों पर ही रह गए हैं?
✅ क्या सरकार ने मजदूरों को सुरक्षा देने की कोई ठोस योजना बनाई है या सिर्फ वोट बैंक तक ही सीमित है?
✅ क्या इस देश में गरीब और मजदूरों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है?
योगेंद्र की मौत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि
👉 मजदूरों को उनका हक मांगने का भी अधिकार नहीं है।
👉 ठेकेदार और दबंगों को मजदूरों का शोषण करने की खुली छूट मिल रही है।
क्या भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार केवल जाति विशेष की राजनीति कर रही है?
✅ मजदूरों के हक की लड़ाई कब तक उपेक्षित रहेगी?
✅ क्या मजदूर सिर्फ चुनावी मुद्दा हैं, जिनका इस्तेमाल वोट बैंक के लिए किया जाता है?
✅ क्या सरकार और प्रशासन की चुप्पी इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दे रही है?
मजदूर की जात नहीं होती, दर्द होता है
यह घटना सिर्फ योगेंद्र मिश्रा की मौत भर नहीं है, यह उस पूंजीवादी और जातिवादी मानसिकता पर सवाल खड़ा करती है, जहां गरीब मजदूरों का शोषण जारी है। मजदूर की कोई जाति नहीं होती, वह सिर्फ मजदूर होता है।
मजदूरी मांगना कोई अपराध नहीं, लेकिन आज देश में मजदूरों की आवाज दबाई जा रही है।
न्याय मांगता योगेंद्र का परिवार
योगेंद्र का परिवार और गांव वाले आरोपियों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं।
✅ "हम चाहते हैं कि ठेकेदार और उसके गुर्गों को फांसी हो, ताकि फिर कोई गरीब मजदूर इस तरह की यातना का शिकार न हो।"
निष्कर्ष: अब समय है न्याय की पुकार सुनने का
योगेंद्र की मौत एक मजदूर की आवाज को हमेशा के लिए खामोश कर गई, लेकिन उसकी आत्मा सवाल कर रही है:
👉 कब तक गरीबों की आवाज दबाई जाएगी?
👉 कब तक मजदूरों का शोषण जारी रहेगा?
👉 कब तक ठेकेदारों और दबंगों को कानून का डर नहीं होगा?
अब वक्त है कि मजदूरों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
योगेंद्र की मौत बेकार न जाए, इसके लिए समाज को जागना होगा और प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी होगी।
"मजदूर की आवाज अब दबाई नहीं जा सकती!"
"न्याय की गुहार अब गूंजनी चाहिए!"
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