📰 वाराणसी में नाबालिग बेटी लापता, 25 दिन बाद भी चोलापुर थाना मौन
गरीब बस ड्राइवर की 17 वर्षीय बेटी के अपहरण का आरोप, FIR में POCSO धाराएं न होने से उठे गंभीर सवाल
वाराणसी | चोलापुर
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले से एक बेहद गंभीर और संवेदनशील मामला सामने आया है, जिसने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। चोलापुर थाना क्षेत्र में एक गरीब बस ड्राइवर संजय पाण्डेय की 17 वर्षीय नाबालिग बेटी पिछले 25 दिनों से लापता है, लेकिन पुलिस अब तक उसे बरामद करने में असफल रही है। 
पीड़ित पिता के अनुसार, 10 नवंबर 2025 को उनकी बेटी रिंग रोड क्षेत्र से अचानक लापता हो गई। परिवार का आरोप है कि एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा बच्ची को जबरन उठा लिया गया। घटना के तुरंत बाद थाने में शिकायत दी गई, जिसके आधार पर अपराध संख्या 450/2025 दर्ज की गई।
🚨 25 दिन बीते, नतीजा शून्य
घटना को लगभग एक महीना बीत चुका है, लेकिन पुलिस के हाथ अब भी खाली हैं। न तो बच्ची का कोई सुराग मिला है और न ही किसी आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्होंने कई बार थाने के चक्कर लगाए, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यदि मामला किसी प्रभावशाली परिवार से जुड़ा होता, तो शायद पुलिस की सक्रियता कुछ और होती।
⚖️ POCSO एक्ट न लगना बना बड़ा सवाल
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि नाबालिग के अपहरण से जुड़ा मामला होने के बावजूद POCSO एक्ट जैसी गंभीर धाराएं एफआईआर में शामिल नहीं की गईं।
कानूनी जानकारों के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के अपहरण या यौन शोषण की आशंका वाले मामलों में POCSO एक्ट का प्रावधान बेहद अहम होता है, क्योंकि इससे जांच की दिशा और गंभीरता तय होती है। ऐसे में पुलिस की यह चूक सवालों के घेरे में है।
⚠️ पहले से लंबित है गंभीर मामला
परिवार ने यह भी बताया कि पीड़िता से जुड़ा एक गंभीर मामला पहले से न्यायालय में लंबित है। इसके बावजूद पुलिस द्वारा अतिरिक्त सतर्कता न बरतना कई आशंकाओं को जन्म देता है।
पिता का कहना है कि उन्हें डर है कि उनकी बेटी के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। परिवार लगातार मानसिक दबाव और भय में जी रहा है।
👨👧 पिता की पीड़ा और परिवार की हालत
बेहद गरीब बस चालक संजय पाण्डेय के लिए यह वक्त किसी बुरे सपने से कम नहीं है। सीमित साधनों के बावजूद वह लगातार न्याय की गुहार लगा रहे हैं। पिता की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है और परिवार का कहना है कि प्रशासन की निष्क्रियता उनकी पीड़ा को और बढ़ा रही है।
परिवार ने मांग की है कि:
- बच्ची को जल्द से जल्द सुरक्षित बरामद किया जाए
- मामले में उचित धाराएं जोड़कर निष्पक्ष जांच हो
- लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए
🏛️ प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
अब तक इस मामले में किसी भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की सार्वजनिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। न ही यह स्पष्ट किया गया है कि जांच के लिए कितनी टीमें गठित की गई हैं या किन संभावित एंगल्स पर काम किया जा रहा है।
प्रशासन की यह चुप्पी मामले को और संदेहास्पद बना रही है।
❓ समाज के सामने बड़े सवाल
इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—
- क्या नाबालिग की सुरक्षा को लेकर सिस्टम संवेदनशील है?
- क्या गरीब परिवारों को न्याय के लिए ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है?
- POCSO जैसे कानूनों का पालन ज़मीनी स्तर पर क्यों नहीं हो रहा?
- अगर समय रहते कार्रवाई होती, तो क्या बच्ची अब तक मिल सकती थी?
📢 न्याय की मांग
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप किया जाए और बच्ची की सुरक्षित बरामदगी सुनिश्चित की जाए।
यह मामला सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था और बाल सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी परीक्षा बन चुका है।
(ख़बर लगातार अपडेट की जा रही है। प्रशासन की प्रतिक्रिया मिलते ही प्रकाशित की जाएगी।)