जनकपुर धाम से खास रिपोर्ट
नेपाल के पवित्र जनकपुर धाम में आयोजित विवाह पंचमी महोत्सव इस बार ऐतिहासिक और भावनात्मक रूप से अत्यंत विशेष रहा। भगवान श्रीराम और माता जानकी के दिव्य विवाह के साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचे, वहीं युवा हिंद ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री हेमंत कुमार सिंह स्वयं इस शुभ अवसर पर जनकपुर धाम पहुंचे और राम-जानकी विवाह की भव्य झांकी एवं धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
श्री सिंह ने इस अवसर पर नेपालवासियों द्वारा आयोजित भव्य समारोह, अनुशासित व्यवस्था और जनसेवा भावना की खुलेदिल से सराहना की। उन्होंने मधेश प्रदेश प्रशासन एवं मुख्यमंत्री द्वारा श्रद्धालुओं की सेवा, सत्कार और सुविधाओं के लिए किए गए प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आयोजन नेपाल की सांस्कृतिक महानता और सनातन परंपरा का जीवंत उदाहरण है।
"नेपाल हिंदू राष्ट्र था और रहेगा" – हेमंत कुमार सिंह
अपने संबोधन में श्री हेमंत कुमार सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
"नेपाल केवल एक देश नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की आत्मा है। यह सदैव हिंदू राष्ट्र था और भविष्य में भी हिंदू राष्ट्र ही रहेगा। यहां की भूमि माता सीता की जन्मभूमि है और यहां की परंपरा पूरे विश्व को मार्गदर्शन देती है।"
उन्होंने नेपाल के नागरिकों से अपील की कि वे हिंदू संस्कृति की रक्षा, सनातन मूल्यों की सुरक्षा और धार्मिक एकता को सशक्त करने के लिए सदैव एकजुट रहें।
कुशवाहा फाउंडेशन की सेवा बनी प्रेरणा
इस पावन अवसर पर कुशवाहा फाउंडेशन द्वारा नि:शुल्क दवा वितरण एवं चाय सेवा का आयोजन किया गया, जो श्रद्धालुओं के बीच विशेष सराहना का विषय रहा। श्री सिंह ने फाउंडेशन के इस मानवीय कार्य के लिए हृदय से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सेवा भावना ही सच्चे धर्म की पहचान है।
उन्होंने कुशवाहा समाज की ऐतिहासिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कुशवाहा समाज कुश के वंशज हैं, जो सूर्यवंशी परंपरा से जुड़ते हैं और इसी प्रकार सिसोदिया राजपूत भी श्रीराम के वंशधर हैं। इस प्रकार कुशवाहा समाज और सिसोदिया राजपूत दोनों एक ही सूर्यवंशीय परंपरा के प्रतिनिधि हैं – जो उन्हें सांस्कृतिक रूप से भाईचारे के सूत्र में बांधता है।
विवाह पंचमी का महत्व और जनकपुर की महिमा
विवाह पंचमी का पर्व भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मर्यादा, धर्म, नारी सम्मान और सामाजिक मूल्यों की स्थापना है। जनकपुर धाम, माता सीता की जन्मभूमि होने के कारण केवल नेपाल ही नहीं बल्कि संपूर्ण हिंदू जगत के लिए आस्था का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
यह पर्व भारत-नेपाल के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक मजबूत करता है, साथ ही सनातन परंपरा की वैश्विक पहचान को भी पुष्ट करता है।
निष्कर्ष
विवाह पंचमी के इस ऐतिहासिक अवसर पर युवा हिंद ट्रस्ट की सक्रिय उपस्थिति, कुशवाहा फाउंडेशन की निस्वार्थ सेवा और जनकपुर की दिव्यता ने यह सिद्ध कर दिया कि सनातन संस्कृति केवल परंपरा नहीं, बल्कि आस्था, सेवा और एकता का जीवंत स्वरूप है।
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